जब भारत ने चीन को 1967 के युद्ध में धूल चटाया था|
मैंने अपने पिछले Article में हाल में हुए भारत-चीन संघर्ष का जिक्र किया था| उस Article "शीर्षक - भारतीय सेना ने चीनी सेना को खदेड़ा" में मैंने इस बात का जिक्र किया था की कैसे भारतीय सेना ने अपना पराक्रम दिखते हुए बहादुरी एवं साहस के साथ, भारत के सिक्कम के Naku La Pass में भारत-चीन सिमा पर चीनी सेना को धूल चटा दिया था, इस शंघर्ष में कुल 11 सैनिक मरे गए थे जिसमे 7 चीन के एवं 4 भारत के थे | दरअसल ये घटना कोई नई नहीं है, पहले भी भारत ने 1967, 1987 एवं 2017 में चीन के दुस्साहस का करारा जबाब देते हुए चीन को धूल चटा चूका है|
1967 का भारत-चीन युद्ध
दरअशल अब तक जितने भी भारत-चीन युद्ध हुए है सब का केवल एक ही कारण रहा है सिमा विवाद की आड़ में चीन की दादागिरी| परन्तु 1962 का युद्ध छोड़ कर बाकि सभी में भारत ने चीन को सबक सिखाया है एवं चीन को धूल चटाया है| दरअसल 1962 के युद्ध में मिली जित से चीन काफी उत्साहित हो गया था एवं सिमा पर और भी ज्यादा दुस्साहस का परिचय देने लगा था, जिससे आये दिन भारतीय एवं चीनी सेना के बिच शंघर्ष होता रहता था| ज्यादातर यह संघर्ष लद्दाख एवं सिक्कम में हुआ करता था| इसी शंघर्ष को कम करने के इरादे से 11 सितम्बर 1967 को नाथू ला दर्रा के पास भारत-चीन सिमा पर तार बिछाने का फैसला किया, एवं बाड़ लगाने का कार्य शुरू किया, कुछ ही देर बाद चीन के एक राजनयिक प्रतिनिधि, जो थोड़ी टूटी-फूटी इंग्लिश जनता था एवं भारतीय सैनिको की भाषा को समझता था, ने भारतीय पक्ष को कार्य रोकने को कहा| चीन के द्वारा रोके जाने पर दोनों ही सेनाओ के बिच थोड़ी बहस हुई एवं कुछ ही देर में चीनी सेना वापस चली गई| मगर कुछ ही देर बाद चीनी पक्ष से जोर-जोर से आवाजें आने शुरू हो गए, दरअसल चीन ने अपने माध्यम रेंज के मशीनगन से भारतीय सेना के जवानो पर गोलियां बरसाना शुरू कर दिया था|
भारतीय सेना को इसका बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था, इसी वजह से गोलीबारी शुरू होने के बाद पहले 10 मिनट तक भारतीय सेना को काफी नुक्सान उठाना पड़ा, इस दौरान भारत के 70 के करीब जवान भारत माता के गोद में सो गए, और कुछ घायल हुए| परन्तु कुछ ही देर में भारतीय सैनिको ने मोर्चा संभाला और अपने बहादुरी एवं पराक्रम का परिचय देते हुए चीनी सेना को जबाब देना शुरू कर दिया और तीन दिनों के भीतर ही चीन के लगभग 400 से भी ज्यादा सैनिको को मार गिराया और सैकड़ो को घायल कर दिया| इस जंग में भारतीय सैनिको ने अपने आर्टिलरी गन्स का खूब उपयोग किया और इन तीन दिनों में चीन के कई बंकर ध्वस्त कर दिया| इस जंग में भारत के लगभग 88 जवान शहीद हुए थे, मगर चीन ने केवल 400 सैनिको के मारे जाने की पुष्टि की थी| चीन, हो रहे तवाही से हारकर 15 सितम्बर 1967 को भारतीय सेना पर हमला नहीं रोकने पर हवाई हमले की धमकी देने लगा| चीन को उसकी औकात दिखाकर एवं उसे सबक सिखाकर भारत अपना काम कर चूका था, इसलिए भारत ने हमला बंद कर दिया|
इस तीन दिन चले युद्ध में भारत की विजय हुई एवं भारत सरकार ने इस जंग में शहीद हुए जवान एवं घायल सैनको को सम्मानित किया|
परन्तु इसके कुछ ही दिनों बाद 1 अक्टूबर 1967 को चीनी सैनको ने एक बार फिर अपने दादागिरी का परिचय देते हुए भारत के "चाओ ला" इलाके में दुस्साहस करने का प्रयास किया और भारतीय सेना के साथ उलझने लगा, मगर उस समय वहां तैनात 7/11 गोरखा राइफल्स एवं 10 जैक राइफल्स के बटालियनों के जवानो ने उन्हें करारा जबाब दिया और उसे आगे नहीं बढ़ने दिया, और चीनी सेना एक बार फिर मुँह की खाकर वापस चला गई|
चीन 1967 के इन हारो को अभी तक भूल नहीं पाया है, परन्तु अपने दादागिरी के आदत से मजबूर चीन अभी भी दुस्साहस करता रहता है| न सिर्फ भारत बल्कि आये दिन वियतनाम, नेपाल एवं जापान भी चीन की दादागिरी का शिकार होते रहते है|
No comments:
Post a Comment
Please Don't Enter Any Spam Link and also don't enter any Adult Word in Comment Box.