Bad Bank क्या है? क्या भारत में भी Bad Bank बनाया जायेगा?
भारत में मीडिया द्वारा एक रिपोर्ट निकल कर आ रही है, जो Bad Bank की स्थापना से सम्बंधित है| Bad Bank क्या है? क्या यह अपने नाम की तरह एक बुरा बैंक है? यह क्यों भारत में लाया जा रहा है? यह भारतीय बैंकिंग प्रणाली को कैसे लाभ पहुंचाएगी? इन सभी प्रश्नो के उत्तर आज हम इस Article में करेंगे|
हाल में आई एक रिपोर्ट के अनुसार अब भारत में भी एक Bad Bank की स्थापना हो सकती है| दरअसल भारत के एक बैंकिंग संगठन IBA (Indian Bank association), जिसकी स्थापना 1946 में भारतीय बैंकिंग व्यवस्था की देख-रेख करने एवं बैंकिंग से सम्बंधित नए एवं पुराने नियमों का नियंत्रण एवं देख-रेख करने के लिए बनाया गया था| इसी संगठन ने भारत सरकार एवं RBI के समक्ष एक प्रस्ताव पेश किया है, जिसमे अब भारत में भी Bad Bank की स्थापना की बात कही गई है|
Bad Bank, दरअसल कोई बुरा बैंक नहीं है| यह एक ऐसा बैंक है, जिसका निर्माण मूलतः किसी भी देश के बैंकिंग व्यवस्था द्वारा उतपन्न Bad Loan या NPA (Non Performing Asset) के निपटारा के लिए बनाया जाता है | आज के समय ऐसे बैंक अमेरिका जैसे बड़े देशो में वहां के NPA के निपटारा के लिए उपलब्ध है| मगर यहाँ आगे बढ़ने से पहले यह समझना आवश्यक है की NPA क्या होता है? और यह किसी देश में कैसे उत्पन्न होता है? इसे एक उदाहरण से समझते है.....
माना किसी देश में कोई बैंक SBI है, जो किसी कंपनी X को एक वर्ष के लिए 5,000 करोड़ का Loan देती है| माना बर्ष पूरा होने के बाद तक बैंक को सिर्फ 4000 Cr. का ही बापस भुगतान होता है| जिससे बैंक को, बचे 1,000 Cr डूबने की स्थिति में आ जाते है, जिसके मिलने की सम्भावना कम या नहीं के बराबर होता है| तो SBI के इस डूबे हुए ऋण को ही NPA कहा जाता है| इस तरह के नुक्सान को कोई भी बैंक उस बर्ष के सम्बंधित Balance Sheet में हानि के रूप में नहीं दिखना चाहता है, क्योकि NPA को Balance Sheet में दिखाने की स्थिति में उस बैंक के Depositor के मन में अपना पैसा डूबने का डर बन सकता है, जिससे डर कर धीरे-धीरे सभी सम्बंधित बैंक के depositor अपना-अपना पैसा उस बैंक से निकलना शुरू कर देंगे, जिससे बैंक को भरी नुक्सान उठाना पड़ सकता है| मगर कोई भी बैंक अपने इस तरह के हानि को भूलता नहीं है, और ऐसे ऋण को बापस पाने के लिए काफी प्रयास करती है| और उस रकम के किसी भी बर्ष बापस प्राप्त होने की स्थिति में बैंक इसे इसके सम्बंधित बर्ष के Balance Sheet में लाभ दिखती है|
किसी भी बैंक के इस तरह के NPA की वापसी के लिए ही किसी भी देश में Bad Bank की स्थापना किया जाता है, ताकि किसी भी बैंक को NPA की वापसी के लिए अपना ध्यान न भटकाना पड़े एवं सम्बंधित बैंक अच्छे से अपने बैंकिंग प्रणाली को चला सके| अब यह जानना आवश्यक है की Bad Bank किस तरह कार्य करती है?
दरअसल जब किसी भी बैंक में NPA उत्पन्न होता है तो बैंक अपना सारा NPA, Bad Bank को सौंप देता है ताकि बैंक अपना समय बचा सके एवं अपना ध्यान अपने मुख्य कार्य से भांग होने से भी बचा सके| Bad Bank तुरंत ही NPA की प्रकृति के अनुसार उस बैंक को कुछ रकम दे देती है| जिससे सम्बंधित बैंक को इस NPA से छुटकारा मिल जाता है, और NPA का कुछ हिस्सा भी| Bad Bank इस NPA को बापस लाने के लिए सम्बंधित कदम उठता है| मगर यहाँ यह भी प्रश्न आता है की Bad Bank को ये सब करने से उसे क्या लाभ होता है?
दरअसल जब Bad Bank के पास कोई NPA आता है तो Bad Bank, सम्बंधित बैंक को उस NPA का कुछ हिस्सा दे देती है| Bad Bank जब NPA की पूरी रकम बसूल लेता है तो सम्बंधित बैंक को चुकाए रकम से जितना भी रकम जियादा होता है वह Bad Bank का लाभ होता है| और काम रकम बसूली की स्थिति में Bad Bank को हानि होता है| इसे भी एक उदाहरण से समझते है....
माना SBI, अपने पास उत्पन्न 1000 Cr का NPA, Bad Bank को दे देती है, जिसके लिए Bad Bank, SBI को 500 Cr तुरंत ही उसे दे देती है| अब यहाँ Bad Bank द्वारा 800 Cr का NPA, X कंपनी से बसूलने की इस्तिथि में Bad Bank को 300 Cr का लाभ होगा, परन्तु यहाँ Bad Bank द्वारा, X कंपनी से मात्रा 400 Cr का NPA बसूले जाने की इस्तिथि में Bad Bank को 100 Cr की हानि होगी|
वास्तव में एक Bad Bank की स्थापना का प्रस्ताव भारत सरकार एवं RBI के पास पहले भी आ चुके है मगर इसके कुछ गलत परिणाम होने की सम्भावना के कारण इस पर कभी विचार नहीं किया गया| कियुकी इसकी अस्थापना से भले ही commercial बैंको का बोझ कम हो जायेगा परन्तु देश में NPA बढ़ने की सम्भावना भी बढ़ जायेगा|
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