Donald Trump ने 'buy American first' pharma executive order sign किया|
7 अगस्त को "The New Indian Express" में छपे एक लेख (Article) के अनुसार अब किसी भी American Fedral Agencies को अमेरिका में बने दवाइयाँ ही खरीदनी पड़ेगी| अब American Fedral Agencies किसी भी और देश में बने दवाइयों को नहीं खरीद पाएंगे| Ohio में एक washing machine plant में दिए भाषण में अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump ने इस बात की घोषणा की अब American Fedral Agencies को अमेरिका में बने जरुरी दवाइयों को खरीदने की जरुरत है, जिससे अमेरिका की चीन और दूसरे देशों पर जरुरी दवाइयों के लिए निर्भरता कम होगी|
साथ ही इस Order में यह भी कहा गया है की कोई भी American Fedral Agencies तभी किसी भी और देश में बने दवाइयों की खरीद कर सकती है जब उनके कीमत में 25% या उससे ज्यादा का अंतर होगा अर्थात जब किसी भी और देश की दवाई की कीमत अमेरिका में बने दवाई की कीमत से 25% या उससे ज्यादा कम होगी तभी कोई भी American Fedral Agencies उस देश की दवाइयां खरीद सकती है|
दरअसल अमेरिका के फार्मा क्षेत्र में भारत और चीन का सबसे ज्यादा दबदबा है| अमेरिका में किसी भी दवाई की तीन गोली में हर एक भारत में बना मिलती है कियोकि यहाँ की दवाइयां प्रायः कम कीमत की होती है, यही इस्थिति चीन में बने दवाइयां का भी है| दरअसल हल में आई एक Report के अनुसार पुरे विश्व के फार्मा क्षेत्र पर सबसे ज्यादा प्रभाव चीन का ही है, जिसका शिकार अमेरिका भी है| हम सभी जानते है की चीन एकलौता ऐसा देश है जो सबसे ज्यादा active pharmaceutical ingredients (API) बनाता है, दरअसल API सभी प्रकार के दवाइयों का कच्चा माल है| भारत की फार्मा क्षेत्र भी चीन की ही API पर निर्भर है कियोकि भारत भी दवाइयां बनाने के लिए 68% API चीन से ही खरीदता है | न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया की लगभग सभी देश इसके लिए चीन पर ही निर्भर है जिसमे अमेरिका भी शामिल ही|
हम सभी जानते है की हाल में जिस तरह के रिश्ते अमेरिका-चीन और भारत-चीन के बने है उससे न सिर्फ भारत बल्कि Covid-19 की बजह से पूरी दुनिया चीन को अलग-थलग कर रही है, और उसे boycott कर रही है| ऐसे में अमेरिका का यह कदम चीन के अर्थव्यवस्था के लिए काफी हानिकारक होगी| अमेरिका के इस कदम से न सिर्फ चीन बल्कि इसका नकारात्मक असर भारत पर भी हो सकता है, कियोकि आज के समय भारत लगभग 6 बिलियन USD की दवाइयों का निर्यात अमेरिका को करता है, अमेरिका के इस कदम से इसमें कुछ कमी आ सकती है| परन्तु यहाँ भारत के लिए कुछ अच्छी चीजें भी है जिससे भारत को आने वाले समय में काफी फायदा हो सकता है, कियोकि अमेरिका ने इस घोषणा के साथ ही यह भी घोषित किया की अब अमेरिका न सिर्फ API का उत्पादन करेगा बल्कि इसे सभी देशों में निर्यात भी करेगा और इसके लिए अमेरिका ने अमेरिका की एक फार्मा कंपनी "Kodak" को चयनित भी किया है और उसे काफी कम Interest Rate पर API के उत्पादन के लिए लगभग 765 मिलियन USD का लोन भी देगी, न सिर्फ "Kodak" बल्कि अमेरिका ने और भी कंपनियों को एक बड़ी मात्रा में लोन देने का घोषणा किया है, जिससे आने बाले समय में अगर अमेरिका एक बड़ा API उत्पादक देश बनता है तो भारत की चीन पर निर्भरता कम होगी साथ ही चीन का एकाधिकार ख़त्म होने के कारण इसके कीमत में भी कमी आएगी|
हाल ही में चीन पर निर्भरता कम करने के लिए भारत ने भी API के उत्पादन के लिए एक बड़ी सी पैकेज की घोषणा की है| जिससे भारत को आत्मनिर्भर बनने में काफी मदद मिल सकती है, और API के लिए चीन जैसे देशों पर निर्भरता भी कम होगी|
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